Construction Rules Near Highway – आजकल ज़्यादातर लोग हाईवे के किनारे ज़मीन खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। वजह साफ है – बेहतर कनेक्टिविटी, ट्रांसपोर्ट की सुविधा, और भविष्य में प्रॉपर्टी की कीमत का बढ़ना। लेकिन सिर्फ फायदे ही नहीं, इसके साथ कुछ जरूरी नियम-कानून और रिस्क भी जुड़े होते हैं जिनकी अनदेखी करना भारी पड़ सकता है।
अगर आपने बिना जानकारी के हाईवे के पास घर या दुकान बना ली, तो वो निर्माण कभी भी अवैध घोषित किया जा सकता है। इतना ही नहीं, सरकार उसे गिराने का आदेश भी दे सकती है और आपकी सारी मेहनत और पैसा बेकार चला जा सकता है। इसलिए हाईवे के पास कोई भी कंस्ट्रक्शन करने से पहले नियमों की पूरी जानकारी होना बहुत ज़रूरी है।
1964 का ज़मीन नियंत्रण कानून क्या कहता है?
भारत में ‘भूमि नियंत्रण नियम 1964’ के तहत नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे के किनारे निर्माण के नियम तय किए गए हैं। इसके मुताबिक, हाईवे की बीच की लाइन (median line) से कम से कम 75 फीट की दूरी पर ही कोई भी कंस्ट्रक्शन किया जा सकता है। ये नियम हर तरह की जमीन – चाहे वो खेती की हो या खाली प्लॉट – दोनों पर लागू होता है।
इस दूरी को रखने के पीछे कई कारण हैं जैसे – सड़क की सुरक्षा, भविष्य में सड़क चौड़ी करने की ज़रूरत, और पर्यावरण का ध्यान रखना। अगर कोई इस नियम का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है, और उसका मकान या दुकान गिराई जा सकती है।
शहर और गांव के लिए अलग हैं नियम
हाईवे किनारे निर्माण के नियम शहर और गांव दोनों के लिए थोड़े अलग हैं। शहरों में ज़मीन की कमी होती है इसलिए वहां ये दूरी थोड़ी कम रखी गई है – करीब 60 फीट। लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि हाईवे की बीच की लाइन से 40 मीटर के अंदर कोई भी कंस्ट्रक्शन पूरी तरह से गैरकानूनी माना जाएगा।
अगर आप 40 से 75 मीटर की दूरी के अंदर कुछ बनाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको सरकार या संबंधित विभाग से विशेष अनुमति लेनी होगी। बिना परमिशन के किया गया निर्माण गिराया जा सकता है।
परमिशन लेने का सही तरीका
अगर आप हाईवे के पास कोई घर या दुकान बनाना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको नगर निगम या ग्राम पंचायत से संपर्क करना होगा। उसके बाद राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) या राज्य सरकार के विभाग से मंजूरी लेनी होगी।
इसके लिए आपको ज़मीन के कागज़, नक्शा, पर्यावरण प्रभाव का आकलन (environmental assessment) और कुछ अन्य दस्तावेज़ जमा करने पड़ते हैं। यह प्रक्रिया थोड़ी समय लेती है लेकिन भविष्य की दिक्कतों से बचने के लिए ये बहुत जरूरी है। एक बार परमिशन मिलने के बाद भी निर्माण के दौरान सभी शर्तों का पालन करना जरूरी होता है।
नियमों का उल्लंघन किया तो क्या होगा?
अगर आपने नियमों का पालन नहीं किया और अवैध निर्माण कर लिया तो नतीजे काफी गंभीर हो सकते हैं। सरकार बिना किसी नोटिस के आपके निर्माण को तोड़ सकती है। इसके अलावा भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है जो कई बार निर्माण की लागत से भी ज़्यादा होता है।
कुछ मामलों में कानूनी कार्रवाई इतनी आगे बढ़ सकती है कि आपके ऊपर आपराधिक केस दर्ज हो जाए और जेल भी हो सकती है। इसके अलावा भविष्य में आपको किसी भी सरकारी योजना या अनुमति में दिक्कत आ सकती है।
हाईवे के पास घर तो बन गया, लेकिन सेहत का क्या?
हाईवे के नजदीक घर बनाने का एक और बड़ा नुकसान है – सेहत पर पड़ने वाला असर। हाईवे पर लगातार ट्रैफिक चलता है, जिससे वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण काफी बढ़ जाता है। इससे बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। लगातार शोर की वजह से नींद की दिक्कत, तनाव और सुनने की क्षमता में कमी जैसी समस्याएं आम हैं।
भविष्य की प्लानिंग भी ज़रूरी
अगर आप अभी तो सभी नियम मानकर घर बना भी लेते हैं, लेकिन कुछ साल बाद सरकार उस हाईवे को चौड़ा करने का फैसला ले ले तो आपका मकान फिर भी खतरे में आ सकता है। इसलिए कोशिश करें कि आप 75 फीट की तय दूरी से भी थोड़ा और हटकर कंस्ट्रक्शन करें। इससे भविष्य में किसी भी तरह की परेशानी नहीं होगी।
इसके अलावा, पर्यावरण के लिहाज से पेड़ लगाना, शोर रोकने वाली दीवारें बनाना जैसे उपाय भी ज़रूरी हैं। साथ ही, निर्माण से पहले स्थानीय शहरी योजनाकार से ये भी पता कर लेना चाहिए कि आगे चलकर उस इलाके में कोई विकास योजना तो नहीं है जो आपकी प्रॉपर्टी को प्रभावित कर सकती है।
हाईवे के किनारे प्रॉपर्टी खरीदना और घर बनाना फायदे का सौदा जरूर लगता है, लेकिन ये तभी सही है जब आप सभी नियमों की जानकारी लेकर सही तरीके से अनुमति लें और हर कदम पर कानून का पालन करें। वरना ये सपना एक बड़ा झटका भी बन सकता है।