सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला – लोन की EMI नहीं दी तो हो सकती है बड़ी कार्रवाई EMI Bounce

By Prerna Gupta

Published On:

EMI Bounce

EMI Bounce – आजकल के समय में लोन लेना कोई बड़ी बात नहीं रह गई है। चाहे घर खरीदना हो, गाड़ी लेनी हो या बच्चों की पढ़ाई या बिजनेस शुरू करना हो, लोग आसानी से बैंक या फाइनेंस कंपनी से लोन ले लेते हैं। लेकिन दिक्कत तब शुरू होती है जब वक्त पर EMI नहीं चुकाई जाती। कई बार मजबूरी में या फिर लापरवाही से लोग किस्तें नहीं भर पाते और मामला बढ़ जाता है। ऐसा ही एक केस सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जिसमें कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। यह फैसला लोन लेने वाले और फाइनेंस कंपनी, दोनों के लिए सीख देने वाला है।

क्या था मामला – EMI ना भरने पर कार जब्त

दरअसल, एक शख्स ने 12 साल पहले फाइनेंस पर गाड़ी खरीदी थी। उसने गाड़ी की डाउन पेमेंट के तौर पर एक लाख रुपए दिए और बाकी रकम लोन में ली। शुरुआत में सब ठीक चला और पहले सात महीने तक वह हर महीने करीब 12500 रुपए की EMI भरता रहा। लेकिन आठवें महीने से किस्त आना बंद हो गई। फाइनेंस कंपनी ने भी तुरंत कोई कड़ा कदम नहीं उठाया। उन्होंने पूरे पांच महीने तक इंतजार किया और ग्राहक को कई मौके दिए। जब फिर भी कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला, तो कंपनी ने आखिरकार गाड़ी को जब्त कर लिया।

ग्राहक गया उपभोक्ता अदालत

अब कहानी में मोड़ आया जब उस व्यक्ति ने फाइनेंस कंपनी के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज करा दी। उसका कहना था कि कंपनी ने बिना नोटिस दिए उसकी गाड़ी जब्त कर ली जो नियमों के खिलाफ है। कोर्ट ने भी ग्राहक की बात को सही मानते हुए फाइनेंस कंपनी पर दो लाख से ज्यादा का जुर्माना लगा दिया।

यह भी पढ़े:
RBI New Rule RBI का नया नियम! नहीं किया ये जरूरी काम तो आपका बैंक अकाउंट हो जाएगा बंद RBI New Rule

फाइनेंस कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई गुहार

उपभोक्ता फोरम का ये फैसला फाइनेंस कंपनी को पसंद नहीं आया और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने केस की गहराई से जांच की और काफी संतुलित फैसला सुनाया। कोर्ट ने माना कि ग्राहक ने खुद कबूला था कि उसने सिर्फ शुरुआती सात किस्तें भरी थीं और बाद में पेमेंट नहीं किया। यानी वह डिफॉल्टर था। साथ ही कोर्ट ने माना कि फाइनेंस कंपनी ने पांच महीने का समय भी दिया था, जो एक सही कदम था।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने – EMI नहीं भरी तो गाड़ी जब्त करना गलत नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने उपभोक्ता कोर्ट द्वारा लगाए गए भारी जुर्माने को रद्द कर दिया। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि कंपनी को गाड़ी जब्त करने से पहले ग्राहक को लिखित नोटिस देना चाहिए था। इसलिए कंपनी पर सिर्फ 15 हजार रुपए का जुर्माना बरकरार रखा गया।

साफ संदेश – EMI नहीं भरी तो वाहन की जब्ती कानूनी है

कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया कि जब तक पूरा लोन नहीं चुका दिया जाता, तब तक गाड़ी का असली मालिक फाइनेंस कंपनी ही होती है। अगर कोई ग्राहक लगातार किस्त नहीं भरता है तो कंपनी वाहन जब्त कर सकती है और ये कोई गैरकानूनी काम नहीं माना जाएगा।

यह भी पढ़े:
Home Loan EMI EMI नहीं भरी तो बैंक ले सकता है घर! होम लोन वालों के लिए अलर्ट जरूरी Home Loan EMI

लेकिन ग्राहक के भी अधिकार हैं – बिना नोटिस नहीं चलेगा काम

हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि फाइनेंस कंपनी अपनी मनमर्जी से नहीं चल सकती। ग्राहक को नोटिस देना जरूरी है और उसे अपनी बात रखने का मौका भी मिलना चाहिए। बिना इस प्रक्रिया के कोई कार्रवाई करना ठीक नहीं माना जाएगा।

क्या सीख मिलती है इस फैसले से

  1. लोन लेना आसान है लेकिन किस्त भरना आपकी जिम्मेदारी है।
  2. अगर किसी महीने आप भुगतान नहीं कर पा रहे हैं तो बैंक या कंपनी से बात करें, भागने से मसले सुलझते नहीं हैं।
  3. फाइनेंस कंपनियों को भी चाहिए कि नोटिस भेजकर ही आगे की कार्रवाई करें, ताकि ग्राहक को पूरा मौका मिले।
  4. किसी भी प्रॉपर्टी या वाहन की असली मालिकी लोन पूरा चुकाने तक आपके पास नहीं होती।

लोन लेने से पहले और बाद में हर कदम सोच समझकर उठाना चाहिए। कई बार लापरवाही हमें बड़ा नुकसान करा सकती है। और अगर आपको लगता है कि आपके साथ अन्याय हुआ है, तो कानून आपके साथ है, बस आपको सही प्रक्रिया अपनानी होगी।

यह भी पढ़े:
Widow Pension Scheme विधवा पेंशन में बड़ा बदलाव! जून से मिलेगी डबल रकम – जानिए कैसे उठाएं पूरा लाभ Widow Pension Scheme

Leave a Comment