Loan Pre-Payment Rule – आजकल जब भी किसी के पास थोड़ा एक्स्ट्रा पैसा आता है, तो सबसे पहले दिमाग में यही आता है – क्यों न लोन जल्दी खत्म कर दिया जाए। सोच ये रहती है कि जितनी जल्दी लोन से छुटकारा मिलेगा, उतना अच्छा। लेकिन क्या वाकई ऐसा करना समझदारी है? चलिए इसे आम भाषा में समझते हैं।
क्या होता है लोन प्री-पेमेंट?
जब आप अपने लोन को तय वक्त से पहले पूरा चुकाने का फैसला लेते हैं, तो इसे प्री-पेमेंट कहते हैं। ज़्यादातर लोग पर्सनल लोन में ऐसा करते हैं क्योंकि उस पर ब्याज दरें ज्यादा होती हैं। लेकिन हर सिक्के के दो पहलू होते हैं – प्री-पेमेंट के भी कुछ नुकसान होते हैं, जो आपको सोचे बिना नजर नहीं आते।
फोरक्लोजर चार्ज: छिपा हुआ झटका
लोन समय से पहले चुकाने पर बैंक या फाइनेंस कंपनियां एक चार्ज लगाती हैं, जिसे फोरक्लोजर चार्ज कहा जाता है। ये चार्ज बचे हुए लोन अमाउंट का 1 से 5 प्रतिशत तक हो सकता है।
मान लीजिए कि आपके ऊपर अभी 2 लाख का लोन बाकी है और बैंक 3 प्रतिशत फोरक्लोजर चार्ज मांग रहा है, तो आपको सीधे 6000 रुपये अलग से देने होंगे। अब सोचिए, आपने लोन खत्म करने के लिए जो एक्स्ट्रा पैसा दिया, उसमें से ये रकम कट गई।
तो सवाल ये है कि क्या उस 6000 रुपये की तुलना में भविष्य में बचने वाला ब्याज ज्यादा है? अगर हां, तो प्री-पेमेंट ठीक है, वरना नुकसान।
ब्याज की बचत या खर्च का झांसा?
प्री-पेमेंट से एक फायदा तो होता है – आपको बाकी की किश्तों में लगने वाले ब्याज से राहत मिलती है। लेकिन ये राहत कब काम की है? जब लोन की शुरुआत हुई हो और ज्यादातर ब्याज अभी बाकी हो।
लोन की EMI में शुरुआत में ब्याज का हिस्सा ज्यादा होता है और बाद में मूलधन का। अगर आप लोन का आधे से ज्यादा हिस्सा चुका चुके हैं, तो अब ब्याज उतना नहीं बचा है। ऐसे में प्री-पेमेंट करने का फायदा कम और नुकसान ज्यादा हो सकता है।
क्या क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है असर?
कई लोग मानते हैं कि लोन जल्दी चुकाने से क्रेडिट स्कोर बेहतर हो जाता है, जो सच भी है। इससे बैंकों को लगता है कि आप एक जिम्मेदार उधारकर्ता हैं।
लेकिन अगर आप टाइम से EMI दे रहे हैं, तो भी स्कोर सुधरता ही है। मतलब, केवल स्कोर के लिए लोन जल्दी चुकाना जरूरी नहीं है। अगर आपका सिबिल स्कोर पहले से अच्छा है और लोन की जरूरत दोबारा पड़ सकती है, तो जल्दी चुकाने की जल्दी नहीं करनी चाहिए।
सही समय चुनें, तभी फायदा
अब बात आती है टाइमिंग की। अगर आपने अभी-अभी लोन लिया है और आधे से ज्यादा किश्तें बाकी हैं, तो प्री-पेमेंट करने से ब्याज की बचत ज्यादा होगी। वहीं, अगर लोन लगभग खत्म होने वाला है, तो प्री-पेमेंट करने का फायदा नहीं है – उल्टा फोरक्लोजर चार्ज देकर पैसा और जाएगा।
और हां, ये भी जरूर सोचिए कि प्री-पेमेंट करने के बाद आपके पास इमरजेंसी खर्चों के लिए पैसा बच रहा है या नहीं। सारे पैसे लोन में झोंक देने से परेशानी हो सकती है।
कुछ और स्मार्ट ऑप्शन
अगर आपके पास एक्स्ट्रा पैसा है, तो सिर्फ लोन चुकाने के बारे में ही न सोचें। आप चाहें तो उस पैसे को कहीं अच्छा रिटर्न देने वाली जगह निवेश भी कर सकते हैं।
अगर निवेश से मिलने वाला रिटर्न लोन की ब्याज दर से ज्यादा है, तो लोन चलने दीजिए और पैसा बढ़ाइए।
एक और तरीका है – आंशिक प्री-पेमेंट। इसमें आप पूरे लोन की जगह उसका कुछ हिस्सा पहले चुका सकते हैं। इससे EMI कम हो सकती है या लोन की अवधि घट सकती है।
अच्छी बात ये है कि कई बार आंशिक प्री-पेमेंट पर कोई चार्ज भी नहीं लगता या बहुत कम लगता है।
आखिर में क्या करें?
लोन समय से पहले चुकाना कई बार अच्छा होता है, लेकिन हर बार नहीं। इसके लिए सोच-समझकर फैसला लेना जरूरी है।
हर बैंक के नियम अलग होते हैं, फोरक्लोजर चार्ज भी अलग होते हैं, और आपकी आर्थिक स्थिति भी खास होती है। ऐसे में कोई भी बड़ा कदम उठाने से पहले अपने बैंक की पॉलिसी अच्छे से पढ़ें और किसी फाइनेंशियल एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।
लोन से जल्दी छुटकारा पाना अच्छी बात है, लेकिन हर हाल में ये जरूरी नहीं कि यह सबसे सही फैसला हो। पहले पूरा हिसाब-किताब करें, अपनी जरूरतों को समझें और फिर निर्णय लें। याद रखिए, फायदे से ज्यादा नुकसान न हो जाए – बस यही ध्यान रखना है।