11 साल पुराना किराए का झगड़ा खत्म! सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आया सामने Supreme Court Decision

By Prerna Gupta

Published On:

Supreme Court Decision

Supreme Court Decision – अगर आप किराएदार हैं या मकान मालिक, तो ये खबर आपके लिए बहुत जरूरी है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया है जिसे ‘क्लासिक केस’ कहा जा रहा है। ये मामला करीब 11 साल पुराना है लेकिन इसकी शुरुआत 1967 से होती है। कोर्ट ने इसे न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग का उदाहरण बताया है और साफ कर दिया है कि कानून का गलत फायदा उठाने वालों को अब बख्शा नहीं जाएगा।

क्या है पूरा मामला?

ये कहानी शुरू होती है साल 1967 से, जब एक महिला लबन्या प्रवा दत्ता ने पश्चिम बंगाल के अलीपुर में अपनी दुकान 21 साल की लीज पर दी थी। ये लीज 1988 में खत्म हो गई, लेकिन किरायेदार ने दुकान खाली नहीं की। मकान मालिक ने किरायेदार से कई बार दुकान खाली करने को कहा, लेकिन बात नहीं बनी। आखिरकार 1993 में मकान मालिक ने अदालत का रुख किया और बेदखली का मुकदमा दायर किया।

काफी साल चले केस के बाद 2005 में कोर्ट ने मकान मालिक के हक में फैसला सुनाया। लेकिन मामला यहीं खत्म नहीं हुआ। 2009 में फिर से कोर्ट में एक याचिका दाखिल हुई और मामला 12 साल और खिंचता चला गया।

यह भी पढ़े:
Employees Pension Rule सरकारी कर्मचारियों के लिए अलर्ट! इस गलती पर बंद हो सकती है आपकी पेंशन – हाईकोर्ट का बड़ा फैसला Employees Pension Rule

किरायेदार का भतीजा बना खेल का हिस्सा

2009 में जो याचिका दाखिल हुई वो किरायेदार का भतीजा देबाशीष सिन्हा लेकर आया। उसने दावा किया कि वह अपने चाचा का बिजनेस पार्टनर है और दुकान पर उसका भी हक बनता है। लेकिन कोर्ट ने इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि ये सिर्फ कोर्ट की प्रक्रिया को लंबा खींचने की कोशिश थी।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया कड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट की बेंच में शामिल जस्टिस किशन कौल और आर सुभाष रेड्डी ने इस केस को “क्लासिक मिसयूज” बताया। उन्होंने कहा कि कैसे लोग न्याय व्यवस्था का गलत इस्तेमाल करके दूसरों के अधिकारों का हनन करते हैं। कोर्ट ने आदेश दिया कि देबाशीष सिन्हा को मार्च 2010 से अब तक का किराया बाजार दर पर तीन महीने के अंदर चुकाना होगा। इसके अलावा कोर्ट का समय बर्बाद करने और मकान मालिक को बेवजह घसीटने के लिए उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।

अब दुकान खाली करनी होगी

कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि दुकान 15 दिनों के अंदर मकान मालिक को सौंपनी होगी। देरी करने पर आगे की सख्त कार्रवाई की जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि अब वक्त आ गया है जब कानून का दुरुपयोग रोकना होगा और न्याय की मर्यादा को बनाए रखना होगा।

यह भी पढ़े:
LIC New Plan 2025 LIC की नई FD योजना 2025: हर महीने पाएं ₹10,000 की गारंटीड इनकम, जानिए कैसे करें निवेश LIC New Plan 2025

न्यायिक प्रक्रिया का गलत फायदा नहीं उठाने दिया जाएगा

इस केस ने दिखा दिया है कि कैसे कुछ लोग वर्षों तक अदालतों में मामले को खींचते हैं, जबकि उनके पास कोई कानूनी आधार नहीं होता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब ऐसा नहीं चलने दिया जाएगा। किसी भी पक्ष को कानूनी प्रक्रिया का मजाक उड़ाने की छूट नहीं दी जाएगी।

किरायेदारों के लिए चेतावनी

अगर आप किराएदार हैं तो ये फैसला आपके लिए एक सीख है। समय पर किराया देना और कानूनी शर्तों का पालन करना जरूरी है। वरना आप भी ऐसे ही किसी केस में फंस सकते हैं जहां कोर्ट आपको जुर्माना और पिछला सारा किराया चुकाने को मजबूर कर दे।

मकान मालिकों के लिए राहत

इस फैसले से उन मकान मालिकों को भी राहत मिलेगी जो सालों से कोर्ट में ऐसे ही केस लड़ रहे हैं। अब उन्हें उम्मीद है कि कोर्ट जल्द सुनवाई करेगा और उनका हक दिलवाएगा।

यह भी पढ़े:
Ancestral Property Rights पैतृक संपत्ति में नहीं मिल रहा हिस्सा? जानिए कानून क्या कहता है – अब कोई नहीं रोक सकता Ancestral Property Rights

सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला बताता है कि अब न्यायिक प्रक्रिया को बेवजह खींचने वालों की खैर नहीं। अगर आप भी किसी ऐसे मामले में फंसे हैं, तो समय पर सही जानकारी लें, दस्तावेज तैयार रखें और कानूनी प्रक्रिया का सम्मान करें। वरना देर-सबेर कोर्ट की सख्ती का सामना करना ही पड़ेगा।

Leave a Comment