DA Arrears – अगर आप केंद्र सरकार के कर्मचारी हैं या पेंशनर हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद अहम है। एक बार फिर 18 महीने के बकाया महंगाई भत्ते यानी डीए एरियर को लेकर हलचल तेज हो गई है। केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स को इस एरियर का बेसब्री से इंतजार है, जो कोविड काल के दौरान रोक दिया गया था। अब सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार इस बार कर्मचारियों की बात सुनेगी या पहले की तरह दो टूक जवाब देगी।
क्या है पूरा मामला?
असल में साल 2020 में जब कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लिया था, तब भारत सरकार ने भी अपने खर्चों को सीमित करने के लिए कुछ बड़े फैसले लिए। इन्हीं में से एक फैसला था डीए यानी महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी को रोकना। यह रोक अप्रैल 2020 से लेकर जून 2021 तक के लिए लगाई गई थी। यानी कुल 18 महीने तक कर्मचारियों को डीए में कोई बढ़ोतरी नहीं मिली।
अब जब देश की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है और सरकार कई योजनाओं पर खुले दिल से खर्च कर रही है, तो कर्मचारी और पेंशनर्स उम्मीद कर रहे हैं कि उन्हें भी उनका बकाया दिया जाएगा।
हर साल दो बार होता है डीए में संशोधन
आपको बता दें कि सरकार हर साल दो बार महंगाई भत्ता संशोधित करती है। एक बार जनवरी में और दूसरी बार जुलाई में। डीए बढ़ने से कर्मचारियों की सैलरी में भी अच्छा खासा इजाफा होता है। यह भत्ता महंगाई के बढ़ते असर से कर्मचारियों को राहत देने के लिए दिया जाता है। लेकिन जब यह 18 महीने के लिए रोक दिया गया, तो लाखों कर्मचारियों को बड़ा झटका लगा था।
अब फिर उठा मुद्दा, कॉन्फेडरेशन ने सरकार को घेरा
कर्मचारियों और पेंशनर्स की मांग को एक बार फिर कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स ने जोर-शोर से उठाया है। हाल ही में 7 मार्च 2025 को कॉन्फेडरेशन की ओर से एक सर्कुलर जारी किया गया है, जिसमें सरकार से अपील की गई है कि वो कोविड के दौरान रोके गए डीए का भुगतान जल्द से जल्द करें।
इस सर्कुलर में सिर्फ डीए एरियर ही नहीं, बल्कि कई और मुद्दे भी उठाए गए हैं। जैसे कि 8वें वेतन आयोग का गठन, पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली और कर्मचारियों की अन्य सुविधाएं। लेकिन सबसे अहम मांग है 18 महीने का डीए एरियर।
कॉन्फेडरेशन का कहना है कि बार-बार मांग करने के बावजूद सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया है। जबकि ये मांगें पूरी तरह जायज हैं और सरकार को कर्मचारियों के हित में कदम उठाने चाहिए।
सरकार की तरफ से क्या आया है जवाब
अब सवाल ये उठता है कि क्या सरकार इस मांग को मानेगी? तो इसका जवाब फिलहाल ना में है। क्योंकि इससे पहले भी जब ये मांग उठी थी, तब सरकार ने साफ शब्दों में कह दिया था कि डीए एरियर का भुगतान संभव नहीं है।
सरकार की दलील है कि महामारी के समय जो आर्थिक हालात थे, उसमें ये फैसला मजबूरी में लिया गया था। और अब भी सरकार के पास इतना बजट नहीं है कि वो 50 लाख कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनर्स को एक साथ इतना बड़ा एरियर दे सके।
कितना बनता है ये एरियर
अगर आंकड़ों की बात करें तो अनुमान है कि सरकार को करीब एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का बोझ उठाना पड़ेगा अगर वह यह डीए एरियर देती है। ऐसे में सरकार बार-बार आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए इस मांग को ठुकरा रही है।
कर्मचारियों की उम्मीदें अभी भी कायम
भले ही सरकार का रुख सख्त हो, लेकिन कर्मचारी और पेंशनर्स अभी भी उम्मीद लगाए बैठे हैं। उन्हें लग रहा है कि जैसे चुनाव नजदीक आएंगे या यूनियन का दबाव बढ़ेगा, तो शायद सरकार नरम रुख अपनाए।
इसके अलावा अगर कोई राजनीतिक दल इस मुद्दे को अपने घोषणा पत्र में शामिल करता है, तो यह मुद्दा फिर से बड़ा बन सकता है।
क्या हो सकता है समाधान
कुछ कर्मचारी संगठनों का सुझाव है कि सरकार अगर एक साथ एरियर नहीं दे सकती तो उसे किस्तों में भुगतान कर दे। जैसे तीन किस्तों में यह राशि कर्मचारियों के खातों में भेजी जा सकती है। इससे सरकार पर अचानक बोझ नहीं पड़ेगा और कर्मचारियों को भी राहत मिलेगी।
फिलहाल तो सरकार ने डीए एरियर देने से इनकार कर दिया है, लेकिन कर्मचारी संगठनों की कोशिशें जारी हैं। कॉन्फेडरेशन का दबाव भी बढ़ रहा है। ऐसे में आने वाले समय में इस मुद्दे पर कुछ हलचल जरूर देखने को मिल सकती है। अगर आप भी केंद्र सरकार के कर्मचारी या पेंशनर हैं, तो आपको भी इस अपडेट पर नजर बनाए रखनी चाहिए।