Education Policy Training – अगर आप झारखंड के किसी सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं, तो अब सतर्क हो जाइए। सरकार ने अब साफ कर दिया है कि बिना ट्रेनिंग के आगे वेतन वृद्धि और प्रमोशन की उम्मीद छोड़ दीजिए। दरअसल, शिक्षा विभाग ने सभी शिक्षकों के लिए 50 घंटे की अनिवार्य ट्रेनिंग का ऐलान किया है। इसका मकसद है कि शिक्षकों को न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2020 यानी नई शिक्षा नीति के हिसाब से अपडेट किया जा सके।
1 जून से कोल्हान में शुरू हो रहा है प्रशिक्षण
शिक्षकों की ये ट्रेनिंग कोल्हान प्रमंडल में 1 जून से शुरू हो रही है और इसे धीरे-धीरे पूरे राज्य में लागू किया जाएगा। ट्रेनिंग का मकसद है कि टीचर्स को नई तकनीकों, मॉडर्न टीचिंग मेथड्स और एजुकेशनल इनोवेशन से रूबरू कराया जाए ताकि बच्चे बेहतर तरीके से पढ़ सकें और शिक्षकों का प्रदर्शन भी सुधरे।
ट्रेनिंग का फॉर्मेट – ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों
शिक्षकों को 50 घंटे की ट्रेनिंग दी जाएगी जो तीन हिस्सों में बंटी होगी। इसमें 24 घंटे का ऑनलाइन सेशन होगा, 6 घंटे का ऑफलाइन नॉन-रेसिडेंशियल सेशन और 20 घंटे का रेसिडेंशियल ऑफलाइन सेशन शामिल होगा। रेसिडेंशियल ट्रेनिंग राजधानी रांची में स्थित जेसीईआरटी यानी झारखंड काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग में दी जाएगी। आखिरी दो घंटे का समय परफॉर्मेंस असेसमेंट यानी मूल्यांकन के लिए तय किया गया है।
डाइट में होगा नॉन रेसिडेंशियल ट्रेनिंग
जुलाई और अगस्त के महीने में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) में 6 घंटे की ऑफलाइन ट्रेनिंग करवाई जाएगी। वहीं 20 घंटे का रेसिडेंशियल सेशन अक्टूबर और नवंबर में आयोजित किया जाएगा। इसके लिए सभी शिक्षकों को उनके बैच के हिसाब से शेड्यूल भेजा जाएगा ताकि कोई भी छूटे नहीं।
जे-गुरुजी ऐप से होगी ऑनलाइन क्लास
ऑनलाइन ट्रेनिंग के लिए शिक्षकों को झारखंड सरकार के “जे-गुरुजी” ऐप का इस्तेमाल करना होगा। 1 जून से 30 जून के बीच 24 घंटे का ऑनलाइन कंटेंट इस ऐप पर पूरा करना होगा। यह ऐप खासतौर से शिक्षकों को डिजिटल माध्यम से जोड़ने के लिए बनाया गया है ताकि टीचिंग भी स्मार्ट हो और टीचर भी।
हर शिक्षक पर खर्च करेगा विभाग
पूर्वी सिंहभूम जिले की बात करें तो यहां करीब 2000 शिक्षक कार्यरत हैं, जिनमें पारा टीचर भी शामिल हैं। शिक्षा विभाग ने तय किया है कि ट्रेनिंग के लिए हर शिक्षक पर लगभग 150 रुपये का खर्च किया जाएगा जिसमें पेन, पेपर और दूसरी ज़रूरी चीजें शामिल हैं।
कोई बहाना नहीं चलेगा – मॉनिटरिंग होगी सख्त
शिक्षा विभाग का कहना है कि अब इस ट्रेनिंग को लेकर कोई बहानेबाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह की ट्रेनिंग पर सख्त निगरानी रखी जाएगी और जिन शिक्षकों ने ट्रेनिंग नहीं ली, उनकी रिपोर्ट सीधे विभाग तक पहुंचेगी। इतना ही नहीं, आगे आने वाले समय में भी इस तरह की ट्रेनिंग हर सत्र में जरूरी रहेगी।
क्यों जरूरी है ये ट्रेनिंग
सरकार का कहना है कि नई शिक्षा नीति के लागू होने के बाद अब शिक्षकों की जवाबदेही और जिम्मेदारी पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है। इसलिए उनके स्किल्स को अपग्रेड करना जरूरी हो गया है। यह ट्रेनिंग टीचर्स को न सिर्फ नई तकनीक और पद्धतियों से जोड़ती है बल्कि उनकी परफॉर्मेंस को भी बेहतर बनाती है। इसका सीधा फायदा छात्रों को मिलता है जो बेहतर पढ़ाई कर पाते हैं।
शिक्षा सचिव ने दी चेतावनी
शिक्षा सचिव उमा शंकर सिंह ने साफ शब्दों में कहा है कि अगर कोई शिक्षक इस ट्रेनिंग में हिस्सा नहीं लेता है, तो उसका प्रमोशन और वेतनवृद्धि रोकी जा सकती है। उन्होंने कहा कि आज के समय में शिक्षक को केवल किताबों तक सीमित रहना ठीक नहीं, उसे समय के साथ चलना होगा। ट्रेनिंग से वह नए तरीकों से पढ़ा सकेगा और खुद भी प्रोफेशनली ग्रो कर पाएगा।
कुल मिलाकर बात साफ है कि अब सरकारी शिक्षक को खुद को अपडेट रखना ही होगा। जो टीचर समय के साथ नहीं चला, उसकी नौकरी में भी रुकावट आ सकती है। अगर आप शिक्षक हैं, तो इस ट्रेनिंग को गंभीरता से लें क्योंकि आने वाला समय उसी का है जो नए बदलाव को अपनाए।