सरकारी कर्मचारियों के लिए अलर्ट! इस गलती पर बंद हो सकती है आपकी पेंशन – हाईकोर्ट का बड़ा फैसला Employees Pension Rule

By Prerna Gupta

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Employees Pension Rule

Employees Pension Rule – सरकारी नौकरी करने वालों के लिए पेंशन एक तरह से रिटायरमेंट के बाद का सबसे बड़ा सहारा होती है। रिटायरमेंट के बाद हर महीने एक तय रकम खाते में आ जाए, इससे बढ़कर और क्या चाहिए। लेकिन अगर कोई सरकारी कर्मचारी नौकरी के दौरान या रिटायरमेंट के बाद किसी गंभीर जुर्म में फंस जाए, तो अब उसकी पेंशन भी खतरे में पड़ सकती है।

गुजरात हाई कोर्ट ने हाल ही में एक बड़ा फैसला सुनाया है जो लाखों सरकारी कर्मचारियों के लिए एक चेतावनी की तरह है। कोर्ट ने साफ कहा है कि अगर कोई कर्मचारी किसी गंभीर अपराध में दोषी पाया जाता है, तो सरकार उसकी पेंशन बंद कर सकती है – और इसके लिए सरकार को पहले से कोई नोटिस देने की जरूरत भी नहीं है।

क्या है पूरा मामला

ये फैसला एक ऐसे रिटायर्ड कर्मचारी के केस में आया है जो अपनी नौकरी के दौरान भ्रष्टाचार के मामले में फंस गया था। उसे कोर्ट से सजा भी मिली और जब सरकार ने उसकी पेंशन रोक दी, तो उसने कोर्ट में जाकर चुनौती दी। लेकिन हाई कोर्ट ने सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि गंभीर जुर्म में दोषी पाए जाने पर पेंशन बंद की जा सकती है।

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अब पेंशन नहीं है ‘पक्की’

अक्सर लोगों को लगता है कि एक बार पेंशन मिलनी शुरू हो गई, तो अब कोई नहीं छीन सकता। लेकिन हाई कोर्ट के इस फैसले ने इस धारणा को तोड़ दिया है। अब अगर कोई कर्मचारी सेवानिवृत्ति के बाद भी किसी गंभीर जुर्म में फंसता है और दोषी साबित होता है, तो उसकी पेंशन बंद हो सकती है। यानी पेंशन अब सिर्फ ईमानदार कर्मचारियों के लिए पक्की है।

बिना नोटिस के हो सकती है कार्रवाई

इस फैसले की सबसे बड़ी बात ये है कि सरकार पेंशन रोकने से पहले ‘कारण बताओ नोटिस’ (शोकॉज नोटिस) देने की भी बाध्यता में नहीं है। यानी अगर कर्मचारी दोषी पाया गया है, तो सरकार सीधे उसकी पेंशन रोक सकती है। यह नियम सेवा के दौरान और रिटायरमेंट के बाद – दोनों ही स्थितियों में लागू होता है।

किस नियम के तहत हो रही है कार्रवाई

यह पूरा मामला पेंशन नियम 2002 के तहत आता है, खासकर नियम संख्या 23 के अनुसार। इस नियम में साफ लिखा है कि यदि कोई पेंशनधारी व्यक्ति किसी गंभीर अपराध का दोषी पाया जाता है, तो उसकी पेंशन बंद की जा सकती है और जरूरत पड़ी तो पहले दी गई रकम भी वापस ली जा सकती है।

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इस नियम का मकसद सरकारी सेवा में अनुशासन बनाए रखना और कर्मचारियों को गलत काम करने से रोकना है। हाई कोर्ट ने भी यही कहा कि अगर किसी कर्मचारी ने अपनी जिम्मेदारियों का गलत इस्तेमाल किया है, तो उसके साथ सख्ती से पेश आना चाहिए।

अपील लंबित हो तब भी मिल सकता है दंड

अक्सर ऐसा होता है कि निचली अदालत से दोषी करार दिए जाने के बाद लोग ऊपरी अदालत में अपील कर देते हैं और तब तक कार्रवाई से बच जाते हैं। लेकिन इस फैसले में कोर्ट ने ये भी साफ किया कि अगर हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील लंबित है, तब भी सरकार पेंशन रोकने का अधिकार रखती है। यानी अब देरी करके या प्रक्रिया का फायदा उठाकर कोई भी कर्मचारी बच नहीं सकेगा।

ये फैसला क्यों है जरूरी

सरकारी नौकरी में कुछ लोग ये मानकर चलने लगते हैं कि पेंशन तो अब पक्की है, चाहे जैसा भी काम करें। लेकिन इस तरह के फैसले सरकारी तंत्र में अनुशासन और ईमानदारी बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी हैं। इससे ये भी संदेश जाता है कि अगर आपने अपने पद का गलत इस्तेमाल किया है, तो रिटायरमेंट के बाद भी आप बचे नहीं रहेंगे।

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यह फैसला सिर्फ एक कर्मचारी पर लागू नहीं होगा बल्कि आने वाले समय में सभी सरकारी कर्मचारियों पर इसका असर दिखेगा। इससे सरकार को यह भी फायदा होगा कि भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई करके संसाधनों का सही इस्तेमाल किया जा सकेगा।

सरकारी कर्मचारी क्या करें

अब जबकि नियम इतने सख्त हो चुके हैं, तो हर सरकारी कर्मचारी को यह बात समझ लेनी चाहिए कि नौकरी में सिर्फ काम करना ही जरूरी नहीं है, बल्कि ईमानदारी और जिम्मेदारी भी उतनी ही जरूरी है। अगर कोई व्यक्ति सोचता है कि रिटायरमेंट के बाद कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता, तो अब वो सोच बदलने की जरूरत है।

इसलिए नौकरी के दौरान ही नहीं, रिटायरमेंट के बाद भी अपने आचरण को लेकर सतर्क रहना जरूरी है। पेंशन अब कोई गारंटी नहीं है, बल्कि एक इनाम है – जो सिर्फ सही आचरण वालों को मिलेगा।

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