FASTAG System Ends – अब देश की टोल वसूली प्रणाली में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अगर आप भी गाड़ी से सफर करते हैं और फास्टैग का इस्तेमाल करते हैं, तो ये खबर आपके लिए जरूरी है। दरअसल, 1 जून 2025 से पूरे भारत में फास्टैग सिस्टम को बंद करने का फैसला लिया गया है। इसकी जगह सरकार अब एक नई और स्मार्ट तकनीक GNSS आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम लागू करने जा रही है।
क्या है ये नया GNSS सिस्टम
GNSS यानी ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम, जो पूरी तरह से सैटेलाइट बेस्ड टोल वसूली प्रणाली है। इसमें आपकी गाड़ी पर एक खास डिवाइस लगाई जाएगी जिसे ऑनबोर्ड यूनिट (OBU) कहा जा रहा है। ये डिवाइस सैटेलाइट के जरिए आपकी गाड़ी की मूवमेंट, रूट और दूरी को ट्रैक करेगी और उसी आधार पर टोल की रकम अपने आप आपके खाते से कट जाएगी। इसका सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि अब टोल प्लाजा पर रुकने की झंझट खत्म हो जाएगी।
फिक्स चार्ज नहीं, दूरी के हिसाब से कटेगा पैसा
अभी तक फास्टैग में आपको एक तय टोल राशि चुकानी होती थी, चाहे आप पूरे टोल सेक्शन से गुजरे हों या बीच में ही मुड़ गए हों। लेकिन GNSS सिस्टम में ऐसा नहीं होगा। इसमें आपकी गाड़ी जितनी दूरी टोल मार्ग पर तय करेगी, उतना ही पैसा कटेगा। यानी अब फिक्स टोल नहीं, बल्कि ‘पे एज यू ड्राइव’ का फॉर्मूला लागू होगा।
कब और कैसे लागू होगा नया सिस्टम
सरकार ने पहले इसे अप्रैल 2025 से लागू करने की योजना बनाई थी, लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से अब इसे 1 जून से शुरू किया जा रहा है। शुरुआत में GNSS सिस्टम कुछ चुनिंदा रूट्स पर ही लागू होगा और धीरे-धीरे इसे पूरे देश में अनिवार्य कर दिया जाएगा। आने वाले 15 दिनों के अंदर सरकार इस संबंध में नई टोल नीति भी घोषित कर सकती है।
फास्टैग यूजर्स को घबराने की जरूरत नहीं
जो लोग अभी फास्टैग का इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें फिलहाल चिंता करने की जरूरत नहीं है। शुरुआत में GNSS सिस्टम ऑप्शनल होगा यानी आप चाहें तो कुछ समय तक फास्टैग का ही इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन धीरे-धीरे सभी गाड़ियों में OBU डिवाइस लगाना अनिवार्य कर दिया जाएगा। इसलिए समय रहते वाहन मालिकों को GNSS डिवाइस लगवाने की सलाह दी जा रही है।
OBU डिवाइस कहां से लगवाएं
सरकार ने इस नई प्रणाली को आसान और सुलभ बनाने के लिए अधिकृत केंद्रों की व्यवस्था की है। गाड़ी मालिक इन सेंटरों पर जाकर अपनी गाड़ी में OBU डिवाइस लगवा सकते हैं। यह डिवाइस GPS की तरह ही गाड़ी में फिट होती है और इसे एक बार लगवाने के बाद टोल वसूली पूरी तरह ऑटोमैटिक हो जाएगी।
पेमेंट की प्रक्रिया कैसी होगी
GNSS सिस्टम में टोल का पेमेंट भी पहले से ज्यादा आसान और पारदर्शी होगा। यह सिस्टम सीधे आपके बैंक अकाउंट या डिजिटल वॉलेट से जुड़ा रहेगा। जैसे ही आपकी गाड़ी टोल वाले रास्ते से गुजरेगी, उसी वक्त उतनी राशि कट जाएगी जितनी दूरी आपने तय की है। इसमें प्रीपेड और पोस्टपेड दोनों विकल्प होंगे ताकि हर प्रकार के वाहन मालिक इसका इस्तेमाल कर सकें।
क्या होंगे फायदे
इस नई प्रणाली से सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि टोल प्लाजा पर लगने वाली भीड़ खत्म होगी। ट्रैफिक जाम कम होगा और सफर ज्यादा स्मूथ हो जाएगा। इसके अलावा, दूरी के हिसाब से शुल्क कटने से लोग ज्यादा संतुष्ट रहेंगे क्योंकि अब किसी को फिक्स चार्ज नहीं देना होगा। भ्रष्टाचार और गलत टोल वसूली की संभावनाएं भी इस सिस्टम से लगभग खत्म हो जाएंगी।
फास्टैग से GNSS तक का सफर
बात करें फास्टैग की तो यह सिस्टम 2016 में शुरू किया गया था ताकि टोल बूथों पर कैश लेन-देन बंद हो और डिजिटली टोल वसूली हो सके। फास्टैग से काफी हद तक भीड़ और रुकावटें कम हुईं, लेकिन अब सरकार एक कदम आगे बढ़ाते हुए GNSS सिस्टम ला रही है, जो तकनीकी रूप से और भी ज्यादा एडवांस है।
नए दौर की शुरुआत
GNSS आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम देश की टोल व्यवस्था को डिजिटल इंडिया की दिशा में एक मजबूत कदम देगा। इससे सड़क यात्राएं ज्यादा आरामदायक, तेज और ईमानदार होंगी। सरकार का मकसद है कि आने वाले समय में टोल प्लाजा की जरूरत ही खत्म हो जाए और सब कुछ सैटेलाइट के जरिए नियंत्रित हो।