Pension News – अगर आप या आपके घर में कोई बुजुर्ग पेंशन लेते हैं, तो ये खबर आपके लिए बहुत ही जरूरी है। हाल ही में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने पेंशनधारकों के हक में एक बहुत बड़ा फैसला सुनाया है, जिसे जानना हर पेंशनभोगी के लिए जरूरी है। अक्सर देखा गया है कि लोगों को पेंशन के अपने अधिकारों की पूरी जानकारी नहीं होती, और इसी वजह से उन्हें कई बार दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं चलेगा।
पेंशन सरकार की दया नहीं, आपका हक है
सुप्रीम कोर्ट ने एकदम साफ शब्दों में कहा है कि पेंशन कोई खैरात नहीं है। यह उस मेहनत का फल है जो आपने नौकरी के दौरान सालों तक किया है। आपने अपनी जिंदगी के कीमती साल सरकार या संस्था की सेवा में लगाए, तो आपको पेंशन पूरी इज्जत और हक के साथ मिलनी चाहिए। सरकार ये नहीं कह सकती कि वो जब चाहे देगी या न देगी।
वेतन बढ़े तो पेंशन भी बढ़े – दोनों जुड़ें हैं
अदालत ने ये भी कहा कि जब सरकारी कर्मचारियों का वेतन बढ़ता है, तो उसी के हिसाब से पेंशन में भी बढ़ोतरी होनी चाहिए। यानी, अगर सरकार सातवां वेतन आयोग लागू करती है, तो उसका फायदा सिर्फ काम कर रहे लोगों को नहीं बल्कि रिटायर्ड कर्मचारियों को भी मिलना चाहिए।
कम से कम इतनी तो मिलनी ही चाहिए पेंशन
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, पेंशन की न्यूनतम राशि आपके मूल वेतन की 50 फीसदी होनी चाहिए। इसका मतलब है कि अगर किसी का अंतिम मूल वेतन 20 हजार था, तो उसे कम से कम 10 हजार रुपये पेंशन जरूर मिलनी चाहिए। इससे नीचे की पेंशन पूरी तरह से गलत मानी जाएगी।
पैसों की कमी का बहाना नहीं चलेगा
कई बार सरकार ये कह देती है कि पेंशन देना मुश्किल है क्योंकि सरकारी खजाने पर बोझ पड़ता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि सरकार इस तरह की दलीलों से बच नहीं सकती। पेंशन देना सरकार की जिम्मेदारी है, और इसे पूरा करना उसका कर्तव्य भी है।
जरूरी नहीं हर बात पर मुकदमा हो
अदालत ने सरकार को सलाह दी है कि वो बेवजह पेंशन से जुड़े मामलों को कोर्ट तक न ले जाए। पेंशनधारकों को हर बार कानूनी लड़ाई में न झोंका जाए। अगर मामला सही है और इंसान को उसका पैसा मिलना चाहिए, तो सरकार को खुद आगे आकर उसे राहत देनी चाहिए।
पेंशन में बढ़ोतरी भी आपका हक
कई बार सरकार पेंशन बढ़ाने में टालमटोल करती है। लेकिन अब ऐसा नहीं चलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि पेंशन में समय-समय पर संशोधन होना चाहिए और इसे सरकार की कृपा नहीं बल्कि पेंशनधारक का अधिकार माना जाए।
कर्नाटक हाईकोर्ट का आदेश – जीवन प्रमाणपत्र के नियम में राहत
एक और बड़ी खबर यह है कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने पेंशनधारकों के लिए एक और राहत भरा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई बुजुर्ग समय पर जीवन प्रमाणपत्र नहीं दे पाता, तो उसकी पेंशन एकदम से बंद नहीं की जा सकती। बैंक को चाहिए कि वह उस व्यक्ति के घर जाकर सच्चाई पता करे।
इस मामले में कोर्ट ने बैंक पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया और आदेश दिया कि बकाया पेंशन छह प्रतिशत ब्याज के साथ दो हफ्तों के अंदर दी जाए। अगर समय पर भुगतान नहीं हुआ, तो ब्याज दर 18 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी। यानी बैंक और सरकार अब बुजुर्गों के साथ मनमानी नहीं कर सकते।
आपका कर्तव्य – इस जानकारी को फैलाएं
अगर आप खुद पेंशनधारक हैं या आपके जानने वालों में कोई है, तो यह खबर उन तक जरूर पहुंचाएं। बहुत सारे लोगों को अभी तक यह जानकारी नहीं है। ऐसे में जरूरी है कि हम सब मिलकर इस खबर को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं। जिनके पास अभी पेंशन नहीं है, वे भी अपने अधिकारों को जानेंगे और भविष्य में उन्हें फायदा मिलेगा।
पेंशन एक ऐसा अधिकार है जो आपके जीवनभर की मेहनत के बदले में आपको दिया जाता है। इसे समझें, इसके नियम जानें और अगर कोई आपका हक मारने की कोशिश करे तो आवाज उठाएं। अब समय आ गया है कि पेंशनधारकों को पूरा सम्मान और उनका हक दिया जाए। इस फैसले से लाखों रिटायर्ड कर्मचारियों को राहत मिलेगी और आने वाले समय में और मजबूती से अपने अधिकार मांग सकेंगे।