Tenant Rights – अगर आप किसी किराए के मकान में रहते हैं, तो ये जानकारी आपके बहुत काम की है। अक्सर लोग किराए पर तो रहने लगते हैं, लेकिन उन्हें अपने अधिकारों की जानकारी नहीं होती। ऐसे में कई बार मकान मालिक अपनी मनमानी करते हैं और किराएदार कुछ कह नहीं पाता। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, क्योंकि भारतीय कानून ने किराएदारों के हक में कई अहम नियम बनाए हैं। इन नियमों को जानने के बाद आप भी बेवजह की परेशानियों से बच सकते हैं।
तो चलिए जानते हैं कि वो 5 कानूनी अधिकार कौन-कौन से हैं जो हर किराएदार को पता होने चाहिए।
बिना कारण घर से नहीं निकाल सकता मकान मालिक
बहुत सारे लोग ये मानते हैं कि मकान मालिक जब चाहे किराएदार को घर से निकाल सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है। अगर किराएदार ने तय समय तक किराया दिया है और रेंट एग्रीमेंट में कोई उल्लंघन नहीं किया है, तो मकान मालिक उसे जबरदस्ती घर से बाहर नहीं निकाल सकता। हां, अगर किराएदार लगातार दो महीने तक किराया नहीं देता या मकान मालिक को अपनी प्रॉपर्टी खुद इस्तेमाल करनी है, तो वह एक लिखित नोटिस के जरिए 15 दिन पहले सूचना देकर किराएदार को घर खाली करने के लिए कह सकता है।
किराया बढ़ाने से पहले देना होगा नोटिस
किराएदार को यह जानकर राहत मिलेगी कि मकान मालिक बिना बताए किराया नहीं बढ़ा सकता। अगर मकान मालिक किराया बढ़ाना चाहता है, तो उसे कम से कम 3 महीने पहले किराएदार को लिखित रूप से जानकारी देनी होगी। अचानक किराया बढ़ाने की कोई गुंजाइश नहीं होती। अगर मकान मालिक ऐसा करता है, तो किराएदार इसकी शिकायत कर सकता है।
बिजली-पानी जैसी सुविधाएं रोकना नहीं है मकान मालिक का हक
किरायेदारों के पास ये कानूनी अधिकार है कि वे मकान में बिजली, पानी और सफाई जैसी मूलभूत सुविधाओं की मांग कर सकते हैं। अगर मकान मालिक इन सुविधाओं से इंकार करता है या जानबूझकर काट देता है, तो यह कानूनन गलत है और इसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। याद रखें, मकान मालिक को किराया लेना है, लेकिन वो बुनियादी सुविधाएं देने से इनकार नहीं कर सकता।
मरम्मत और सुरक्षा की जिम्मेदारी मकान मालिक की
अगर किराए के मकान में किसी तरह की खराबी आती है – जैसे छत टपक रही है, दीवारों में सीलन है या पानी की पाइप लाइन खराब है – तो ये सब ठीक करवाना मकान मालिक की जिम्मेदारी है। अगर वह इसे नजरअंदाज करता है, तो किराएदार किराया कम करने की मांग कर सकता है या फिर सीधे रेंट अथॉरिटी से शिकायत दर्ज कर सकता है। किराए पर रहने का मतलब ये नहीं कि आप हर तकलीफ झेलें।
मकान मालिक की दखलअंदाजी नहीं होगी बर्दाश्त
रेंट एग्रीमेंट साइन करने के बाद मकान मालिक को यह हक नहीं है कि वह जब चाहे आपके कमरे में आए या आपकी गैरमौजूदगी में ताला तोड़कर अंदर घुसे। ऐसा करना गैरकानूनी है। अगर मकान मालिक जबरदस्ती करता है या बार-बार परेशान करता है, तो किराएदार उसे लीगल नोटिस दे सकता है या पुलिस में शिकायत भी दर्ज करवा सकता है। हर किराएदार को अपनी निजता का अधिकार है और उसका सम्मान किया जाना चाहिए।
किराए की रसीद लेना है हर किराएदार का हक
कई बार मकान मालिक किराया तो ले लेते हैं, लेकिन रसीद नहीं देते। ऐसे में अगर भविष्य में कोई विवाद होता है, तो किराएदार के पास कोई सबूत नहीं होता। इसलिए हर महीने की किराए की रसीद लेना आपका हक है और मकान मालिक को यह देना ही होगा। यही रसीद भविष्य में कोर्ट में आपके पक्ष में सबसे बड़ा सबूत बन सकती है।
एक और जरूरी बात
अगर आप किराए पर रह रहे हैं, तो हमेशा रेंट एग्रीमेंट जरूर बनवाएं। इसमें किराया, समय अवधि, सुविधाएं, नोटिस पीरियड जैसी बातें लिखित में होना जरूरी है। ये एग्रीमेंट आपके और मकान मालिक दोनों के लिए एक सुरक्षा कवच जैसा होता है।
अब आप समझ ही गए होंगे कि किराए पर रहने वालों के भी अपने मजबूत कानूनी अधिकार हैं। अगर मकान मालिक आपको परेशान करता है या नियमों का उल्लंघन करता है, तो आप उसका विरोध कर सकते हैं। कानून आपके साथ है, बस जरूरत है जानकारी की और थोड़ी सी हिम्मत की। अगली बार जब मकान मालिक कुछ गलत कहे या करे, तो उसे शांति से बताए कि आपको आपके अधिकार पता हैं।