रेंट पर रहने वालों के लिए बड़ी खबर! मकान मालिक कितना बढ़ा सकता है किराया, जानिए नियम Tenant Rights

By Prerna Gupta

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Tenant Rights – अगर आप किराए पर रहते हैं, तो यह बात आपको जरूर परेशान करती होगी कि मकान मालिक कब और कितना किराया बढ़ा देगा। खासतौर पर बड़े शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली, कोलकाता या चेन्नई में तो किराया पहले से ही काफी ज्यादा होता है। ऐसे में अगर मकान मालिक बिना किसी कारण के अचानक किराया बढ़ा दे, तो आपकी जेब पर बड़ा असर पड़ता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मकान मालिक मनमानी तरीके से किराया नहीं बढ़ा सकता? इसके लिए कानून ने साफ नियम बनाए हैं, जिन्हें जानना हर किरायेदार के लिए जरूरी है।

किराए के एग्रीमेंट की अहमियत

जब आप किसी घर को किराए पर लेते हैं, तो सबसे जरूरी होता है कि आपके और मकान मालिक के बीच एक Rent Agreement या लीज़ एग्रीमेंट हो। यह एक लिखित दस्तावेज होता है जिसमें किराए की अवधि, किराया, और किराया बढ़ाने की शर्तें साफ-साफ लिखी होती हैं। अगर आपने किसी घर को 11 महीने या एक साल के लिए लिया है और उस एग्रीमेंट में किराया बढ़ाने की कोई शर्त नहीं है, तो उस पूरे समय में मकान मालिक आपको किराया बढ़ाने का दबाव नहीं डाल सकता।

हालांकि, अगर एग्रीमेंट में लिखा हो कि हर साल किराया 10 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है, तब ही वह वैध माना जाएगा। बिना ऐसी क्लॉज के मकान मालिक का किराया बढ़ाना गैरकानूनी होता है। इसलिए, जब भी आप नया मकान लेते हैं, तो इस बात को जरूर देखें कि किराया बढ़ाने की कोई शर्त है या नहीं।

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राज्य और स्थानीय नियमों का क्या है रोल?

हर राज्य और शहर में किराया नियंत्रण के नियम अलग-अलग होते हैं। इन नियमों को Rent Control Laws कहा जाता है, जो मकान मालिक और किरायेदार दोनों के अधिकारों और जिम्मेदारियों को तय करते हैं। ज्यादातर राज्यों में यह तय किया गया है कि मकान मालिक एक साल में किराया एक निश्चित प्रतिशत से ज्यादा नहीं बढ़ा सकता। यह आमतौर पर 10 प्रतिशत के आस-पास होता है।

साथ ही, मकान मालिक को किराया बढ़ाने से पहले किरायेदार को लिखित नोटिस देना जरूरी होता है, ताकि किरायेदार के पास इस बदलाव के लिए तैयारी का मौका हो। बिना नोटिस के किराया बढ़ाना गैरकानूनी माना जाता है। इसलिए किरायेदारों को यह जरूर पता होना चाहिए कि उनके इलाके में क्या नियम लागू हैं।

महाराष्ट्र में किराया बढ़ाने के नियम

महाराष्ट्र राज्य में किरायेदारी के नियम काफी कड़े हैं। यहाँ महाराष्ट्र रेंट कंट्रोल एक्ट 31 मार्च 2000 से लागू है। इसके तहत मकान मालिक सालाना अधिकतम 4 प्रतिशत तक ही किराया बढ़ा सकता है। अगर मकान मालिक ने मकान की मरम्मत या कोई बड़ा सुधार कार्य करवाया है, तो वह खर्च के आधार पर 15 प्रतिशत तक किराया बढ़ा सकता है, लेकिन ये बढ़ोतरी भी तय सीमा से ऊपर नहीं हो सकती।

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इसका मतलब है कि मकान मालिक बिना किसी बड़े कारण के या मरम्मत का खर्च बताए बिना किराया ज्यादा नहीं बढ़ा सकता। यह नियम खासतौर पर मुंबई जैसे बड़े शहरों में किरायेदारों को बचाने के लिए बनाया गया है।

दिल्ली में किराया नियंत्रण

दिल्ली में भी किरायेदारों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए Delhi Rent Control Act 2009 लागू है। इस कानून के अनुसार, अगर कोई किरायेदार किसी संपत्ति में लंबे समय से रह रहा है, तो मकान मालिक सालाना अधिकतम 7 प्रतिशत तक किराया बढ़ा सकता है।

साथ ही, मकान मालिक को किराया बढ़ाने से पहले किरायेदार को समय रहते नोटिस देना होता है। यह नोटिस लिखित होना चाहिए, ताकि किरायेदार के पास उचित वक्त हो अपने बजट और रहने की योजना के अनुसार निर्णय लेने का। अगर मकान मालिक बिना नोटिस किराया बढ़ाता है तो वह गैरकानूनी माना जाएगा।

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किरायेदारों के लिए जरूरी बातें

अगर आप किराए पर रहते हैं तो ये बातें जरूर ध्यान में रखें:

  • लीज एग्रीमेंट पढ़ें: किराया बढ़ाने की शर्तें क्या हैं, यह जानना बहुत जरूरी है।
  • कानूनी नियम समझें: अपने राज्य के रेंट कंट्रोल एक्ट को समझें ताकि आप अपने अधिकारों को जान सकें।
  • लिखित नोटिस मांगें: किराया बढ़ाने की सूचना हमेशा लिखित में मांगें।
  • बिना नोटिस कोई बदलाव न मानें: मकान मालिक द्वारा बिना नोटिस किराया बढ़ाना गैरकानूनी होता है।
  • अगर दिक्कत हो तो मदद लें: अपने नजदीकी रेंट कंट्रोल कोर्ट या सरकारी कार्यालय में संपर्क करें।

किराएदार होने के नाते आपको अपने अधिकारों को जानना बहुत जरूरी है ताकि कोई भी मकान मालिक आपकी जेब पर ज्यादा बोझ न डाल सके। किराया बढ़ाने के लिए मकान मालिक को कानून के तहत नियमों का पालन करना पड़ता है। इसलिए, अगली बार जब आपको किराया बढ़ाने की कोई सूचना मिले तो पहले नियम जरूर जांच लें।

अपने किराए के एग्रीमेंट को संभाल कर रखें और हमेशा किसी भी विवाद के लिए प्रमाण के तौर पर इस्तेमाल करें। किरायेदार और मकान मालिक दोनों का आपस में सम्मान और समझदारी होना सबसे जरूरी है ताकि संबंध अच्छे बने रहें और रहने में कोई परेशानी न आए।

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इसलिए अपने अधिकारों को समझें, कानून को जानें और जरूरत पड़ने पर सही सलाह लें। इससे आप अपनी सुरक्षा कर सकते हैं और बिना तनाव के अपने घर में रह सकते हैं।

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